शासकीय स्कूलों की दयनीय स्थिति के लिए बहुत हद तक छत्तीसगढ़ की जनता ही जिम्मेदार है।
शासकीय स्कूलों की दयनीय स्थिति के लिए बहुत हद तक छत्तीसगढ़ की जनता ही जिम्मेदार है।
क्या कभी कोई भी व्यक्ति समूह अपने गांव के शासकीय स्कूल की व्यवस्था सुधारने के लिए कभी कोई आंदोलन किया है? जवाब है नहीं।
क्यों करें उन्हें अपने बच्चों के भविष्य की चिंता ही नहीं है क्योंकि उनके आसपास फीस देकर पढ़ाने के लिए कोई ना कोई प्राइवेट स्कूल मिल ही जाता है अपनी गाढ़ी कमाई खर्च करके प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना मंजूर है लेकिन अपने गांव के शासकीय स्कूल की दशा सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाना चाहते। क्योंकि उन्हें अपनी शक्तियों का पता ही नहीं,
एक जनता की शक्ति का
एक समाज की शक्ति का
अगर पता रहता तो वह कोई कदम जरूर उठाता। जब तक इस प्रदेश का नागरिक जागरुक नहीं हो जाता तब तक यही स्थिति बनी रहेगी और शासन शोषण ही करते रहेगी चाहे कोई एक शिक्षक हो या किसान। यहां की सत्ता बाहरी लोगों के ही हाथ में जो यह नहीं चाहती कि यहां की जनता समझदार बने। छत्तीसगढ़ की जनता को यह बात समझनी होगी नहीं तो छत्तीसगढ़ियों का शोषण होते ही रहेगा।
गहराई से विचार कीजिए। ......रूपेन्द्र साहू.
क्या कभी कोई भी व्यक्ति समूह अपने गांव के शासकीय स्कूल की व्यवस्था सुधारने के लिए कभी कोई आंदोलन किया है? जवाब है नहीं।
क्यों करें उन्हें अपने बच्चों के भविष्य की चिंता ही नहीं है क्योंकि उनके आसपास फीस देकर पढ़ाने के लिए कोई ना कोई प्राइवेट स्कूल मिल ही जाता है अपनी गाढ़ी कमाई खर्च करके प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना मंजूर है लेकिन अपने गांव के शासकीय स्कूल की दशा सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाना चाहते। क्योंकि उन्हें अपनी शक्तियों का पता ही नहीं,
एक जनता की शक्ति का
एक समाज की शक्ति का
अगर पता रहता तो वह कोई कदम जरूर उठाता। जब तक इस प्रदेश का नागरिक जागरुक नहीं हो जाता तब तक यही स्थिति बनी रहेगी और शासन शोषण ही करते रहेगी चाहे कोई एक शिक्षक हो या किसान। यहां की सत्ता बाहरी लोगों के ही हाथ में जो यह नहीं चाहती कि यहां की जनता समझदार बने। छत्तीसगढ़ की जनता को यह बात समझनी होगी नहीं तो छत्तीसगढ़ियों का शोषण होते ही रहेगा।
गहराई से विचार कीजिए। ......रूपेन्द्र साहू.
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