ऐसे सीखें कुंडली देखना

ऐसे सीखें कुंडली देखना

भारतीय ज्योतिष में किसी भी व्यक्ति का भूत, भविष्य और वर्तमान जानने के लिए जन्मकुंडली या प्रश्नकुंडली बनाने का प्रचलन है। इस कुंडली में 12 खाने होते हैं जिन्हें 12 भाव या 12 घर भी कहा जाता है। इन 12 खानों में से जीवन का सारा रहस्य छिपा होता है। इन्हीं के आधार पर ज्योतिषी हमारे प्रश्नों के उत्तर देते हैं। आइए जानते हैं कि कुंडली के इन 12 घर क्या रहस्य बताते हैं और कैसे देखे जाते हैं।


लग्न क्या होता है

कुंडली के पहले घर में जो भी नम्बर (राशि) हो उसे ही जन्म लग्न कहते हैं। इसी के आधार पर बच्चे का नामकरण किया जाता है। 12 राशियों के हिसाब के मेष को 1, वृषभ को 2, मिथुन को 3, कर्क को 4, सिंह को 5, कन्या को 6, तुला को 7, वृश्चिक को 8, धनु को 9, मकर को 10, कुंभ को 11 तथा मीन राशि को 12 नम्बर दिया गया है। कुंडली में लिखे नम्बर का अर्थ यही राशियां होती हैं।

कुंडली का पहला घर
first house in kundali

कुंडली के पहले घर (खाना या भाव) से जातक (व्यक्ति) की शारीरिक आकृति, स्वभाव, वर्ण चिन्ह, व्यक्तित्व, चरित्र, मुख, गुण व अवगुण, प्रारंभिक जीवन विचार, वात-पित्त-कफ प्रकृति, त्वचा का रंग, यश-अपयश, पूर्वज, सुख-दुख, नेतृत्व शक्ति, व्यक्तित्व, मुख का ऊपरी भाग, आत्मविश्वास, अहंकार, मानसिकता आदि के संबंध में जानकारी मिलती है।

कुंडली का दूसरा घर

कुंडली के दूसरे भाव (या घर) से जातक (व्यक्ति) के परिजनों, परिवार का सुख, वाणी, विचार, धन की बचत, सौभाग्य, लाभ-हानि, आभूषण, दृष्टि, दाहिनी आँख, स्मरण शक्ति, प्रारंभिक शिक्षा, संपत्ति, नाक, ठुड्डी, दाँत, स्त्री की मृत्यु, कला, सुख, गला, कान, मृत्यु की जानकारी मिलती हैं।

कुंडली का तीसरा घर

कुंडली के तीसरे भाव (या घर) से जातक (व्यक्ति) के छोटे भाई-बहन, नौकर-चाकर, पराक्रम, साहस, धैर्य, मित्रों से संबंध, साझेदारी, संचार-माध्यम, स्वर, संगीत, लेखन कार्य, वक्षस्थल, फेफड़े, भुजाएँ, बंधु-बांधव आदि के बारे में पता चलता है।

कुंडली का चौथा घर

कुंडली के चौथे भाव (या घर) को मातृ स्थान भी कहते हैं। इस घर से जातक (व्यक्ति) की माता, स्वयं का मकान, पारिवारिक स्थिति, भूमि, वाहन सुख, पैतृक संपत्ति, मातृभूमि, जनता से संबंधित कार्य, कुर्सी, कुआँ, दूध, तालाब, गुप्त कोष, उदर, छाती आदि का पता चलता है।

कुंडली का पांचवां घर

कुंडली के पांचवें भाव (या घर) से जातक (व्यक्ति) की पढ़ाई-लिखाई, बच्चों से मिलने वाला सुख, शिक्षा, विवेक, लेखन, मनोरंजन, संतान, मंत्र-तंत्र, प्रेम, सट्टा, लॉटरी, अकस्मात धन लाभ, पाचन शक्ति, कला, रहस्य शास्त्रों की रुचि, पूर्वजन्म, गर्भाशय, मूत्राशय, पीठ, प्रशासकीय क्षमता, आय का विचार किया जाता है।

कुंडली का छठा घर

कुंडली के छठे भाव (या घर) से जातक (व्यक्ति) के शत्रु, रोग, ऋण, विघ्न-बाधा, भोजन, चाचा-चाची, अपयश, चोट, घाव, विश्वासघात, असफलता, पालतू जानवर, नौकर, वाद-विवाद, कोर्ट से संबंधित कार्य, प्रेम संबंधों में यश, नौकरी परिवर्तन, मामा-मौसी का सुख, नौकर-चाकर, जननांगों के रोग, आँत, पेट आदि का विचार किया जाता है।

कुंडली का सातवां घर

कुंडली के सातवें भाव (या घर) से जातक (व्यक्ति) के जीवनसाथी से संबंध, विवाह, सेक्स, पति-पत्नी, वाणिज्य, क्रय-विक्रय, व्यवहार, साझेदारी, मूत्राशय, सार्वजनिक, गुप्त रोग, यश-अपयश, साझेदारी आदि की जानकारी प्राप्त की जाती है।

कुंडली का आठवां घर

कुंडली के आठवें भाव (या घर) को मृत्यु का घर भी कहते हैं। इस घर से व्यक्ति की आयु, मृत्यु, मृत्यु का कारण, स्त्री धन, गुप्त धन, उत्तराधिकारी, स्वयं द्वारा अर्जित मकान, दु:ख, आर्थिक स्थिति, मानसिक क्लेश, जननांगों के विकार, अचानक आने वाले संकट, वियोग, दुर्घटना, सजा, लांछन आदि का विचार किया जाता है।

कुंडली का नवां घर

कुंडली के नवें भाव (या घर) को धर्म-कर्म का स्थान कहा जाता है। इससे व्यक्ति के धर्म, भाग्य, तीर्थयात्रा, संतान का भाग्य, साला-साली, भाई की पत्नी, दूसरा विवाह, आध्यात्मिक स्थिति, वैराग्य, आयात-निर्यात, यश, ख्याति, सार्वजनिक जीवन, भाग्योदय, पुनर्जन्म, मंदिर-धर्मशाला आदि का निर्माण कराना, योजना, विकास कार्य, न्यायालय से संबंधित कार्य जाने जाते हैं।

कुंडली का दसवां घर

कुंडली का दसवें भाव (या घर) से जातक के पिता, पद-प्रतिष्ठा, बॉस, सास, राज्य, व्यापार, नौकरी, प्रशासनिक स्तर, मान-सम्मान, सफलता, सार्वजनिक जीवन, घुटने, पदोन्नति, उत्तरदायित्व, स्थायित्व, उच्च पद, राजनीतिक संबंध, जाँघें एवं शासकीय सम्मान आदि के बारे में जाना जाता है।

कुंडली का ग्यारहवां घर

कुंडली के ग्यारहवें (एकादश) घर से जातक के मित्र, समाज, आकांक्षाएँ, इच्छापूर्ति, आय, व्यवसाय में उन्नति, ज्येष्ठ भाई, रोग से मुक्ति, मित्र, बहू-जँवाई, भेंट-उपहार, लाभ, आय के तरीके, टखना, द्वितीय पत्नी, कान, वाणिज्य-व्यापार आदि का विचार किया जाता है।

कुंडली का बारहवां घर

कुंडली के बारहवें भाव को मोक्ष भाव भी कहा जाता है। इस स्थान से व्यक्ति के कर्ज, नुकसान, परदेश गमन, संन्यास, अनैतिक आचरण, व्यसन, गुप्त शत्रु, शैय्या सुख, आत्महत्या, जेल यात्रा, मुकदमेबाजी, योजनाओं के क्रियान्वयन आदि की जानकारी मिलती हैं।

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