Holashtak (होलाष्टक)


                                         "होलाष्टक"

*5 मार्च दिन रविवार से आरंभ*
शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन के आठ दिन पूर्व होलाष्टक लग जाता है।
होली की सूचना होलाष्टक से प्राप्त होती है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर होलिका दहन तक के समय को धर्मशास्त्रों में होलाष्टक का नाम दिया गया है।
इसके अनुसार होलाष्टक लगने से होली तक कोई भी शुभ संस्कार संपन्न नहीं किए जाते।
*16 संस्कारों पर रोक*
होली के एक सप्ताह पहले शुरू होकर आठ दिन तक माने जाने वाले इस होलाष्टक काल को अशुभ मानने की मान्यता के कारण आठ दिन तक कोई भी शुभ कार्य को करने की मनाही है, इसलिए शास्त्रीय मान्यता के अनुसार 16 संस्कारों में से कोई भी संस्कार नहीं किए जाते है।
16 संस्कार के अलावा अन्य जो भी आवश्यक कार्य होते हैं वे किए जा सकते है। सोना-चांदी खरीदना या इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, कार, बाइक खरीदे जा सकते हैं, ये 16 संस्कारों के अंतर्गत नहीं आते बल्कि घर-परिवार की जरूरी चीजें हैं।
*ये हैं 16 संस्कार*
1- गर्भाधान,
2 - पुंसवन
3 - सीमन्त
4 - जात कर्म
5 -नामकरण
6 -निष्क्रमण
7 - अन्नप्राशन
8 - मुंडन
9 - विद्या आरंभ
10 - कर्णवेध
11 - यज्ञोपवीत
12 -वेद आरंभ
13 - केशातं
14 - समावर्तन
15 - विवाह
16 - अंत्येष्ठि
होलाष्टक के दिन से 16 संस्कार सहित शुभ कार्यों पर रोक लग जाएंगे फिर ये शुभ कार्य धुलेण्डी ( रंगोत्सव ) के बाद ही शुरू होंगे।

*छत्तीसगढ में मान्य नही होलाष्टक*
पुराणों के मतानुसार होलाष्टक मुख्य रूप से रावी, सतलज, सिंधु नदी के मध्य का भाग था। कभी यह क्षेत्र राजा हिरण्यकश्यपु का राज्य था। इस कारण से पंजाब और उत्तरी भारत में ही होलाष्टक माना जाता है।
यह मध्यभारत में मान्य नहीं है। शास्त्रों में वर्णित है कि जिस स्थान पर हिरण्यकश्यपु द्वारा होलिका के माध्यम से प्रह्लाद को जलाकर मारने का असफल प्रयास किया गया उस समय से ही हिरण्यकश्यपु के राज्य में ही होलाष्टक मनाए जाने की परंपरा शुरू हुई।
मान्यता है कि होली के पहले के आठ दिनों अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक प्रहलाद को काफी यातनाएं दी गई थीं। यातनाओं से भरे उन आठ दिनों को ही अशुभ मानने की परंपरा बन गई। हिन्दू धर्म में किसी भी घर में होली के पहले के आठ दिनों में शुभ कार्य नहीं किए जाते।
होलाष्टक काल को क्षेत्र विशेष में ही महत्व दिया जाता है। छत्तीसगढ़ में होलाष्टक मानने की बाध्यता नहीं है।

Comments

Popular posts from this blog

अवकाश के प्रकार

सेहत के दोहे

स्वदेशी ज्ञान : अब नहीं टपकेगी आपकी छत, सिर्फ 50 रुपैये के खर्चे में होगा इसका रामबाण इलाज