Cg Comedy
छ ग - हास्य रचना सावन म करेला फूटे गरमी म पसीना देहाती ल कथें सुन्दरी शहर के हसीना | शहर के हसीना संगी मुश्किल कर दिस जीना देख के जवान टुरा मन शुरू कर दिन पीना | जब ले लगे फागुन महीना टुरी मुचमुचात हे मोबाइल म रात रात भर आनी बानी गोठियात हे | पढाई म मन न ई लागय कापी पुस्तक तिरियात हे दाई ददा के कहे नी मानय अब्बड़ सत्ती जात हे | का होगे जमाना ल संगी ए ही समझ न ई आत हे मुंह म कपड़ा बांध के टुरी गाड़ी म कहाँ जात हे |