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Showing posts from March, 2017

Cg Comedy

छ ग - हास्य रचना सावन म करेला फूटे            गरमी म पसीना देहाती ल कथें सुन्दरी             शहर के हसीना | शहर के हसीना संगी            मुश्किल कर दिस जीना देख के जवान टुरा मन             शुरू कर दिन पीना | जब ले लगे फागुन महीना                 टुरी मुचमुचात हे मोबाइल म रात रात भर            आनी बानी गोठियात हे | पढाई म मन न ई लागय       कापी पुस्तक तिरियात हे दाई ददा के कहे नी मानय               अब्बड़ सत्ती जात हे | का होगे जमाना ल संगी             ए ही समझ न ई आत हे मुंह म कपड़ा बांध के टुरी            गाड़ी म कहाँ  जात हे |

शांति की तलास

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अगर शांति चाहिए तो इससे दोस्ती कीजिए… यदि आप शांति की तलाश में हैं तो अपनी दोस्ती मौन से भी कर ली जाए। पुरानी कहावत है मौन के वृक्ष पर शांति के फल लगते हैं। मौन और चुप्पी में फर्क है। चुप्पी बाहर होती है, मौन भीतर घटता है। चुप्पी यानी म्यूटनेस जो एक मजबूरी है। लेकिन मौन यानी साइलेंस जो एक मस्ती है। इन दोनों ही बातों का संबंध शब्दों से है। दोनों ही स्थितियों में हम अपने शब्द बचाते हैं लेकिन फर्क यह है कि चुप्पी में बचाए हुए शब्द भीतर ही भीतर खर्च कर दिए जाते हैं। चुप्पी को यूं भी समझा जा सकता है कि पति-पत्नी में खटपट हो तो यह तय हो जाता है कि एक-दूसरे से बात नहीं करेंगे, लेकिन दूसरे बहुत से माध्यम से बात की जाती है। भीतर ही भीतर एक-दूसरे से सवाल खड़े किए जाते हैं और उत्तर भी दे दिए जाते हैं। यह चुप्पी है। इसमें इतने शब्द भीतर उछाल दिए गए कि उनG शब्दों ने बेचैनी को जन्म दे दिया, अशांति को पैदा कर दिया। दबाए गए ये शब्द बीमारी बनकर उभरते हैं। इससे तो अच्छा है शब्दों को बाहर निकाल ही दिया जाए। मौन यानी भीतर भी बात नहीं करना, थोड़ी देर खुद से भी खामोश हो जाना। मौन से बचाए हुए शब...

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*एक समय की बात है...* *एक सन्त* *प्रात: काल भ्रमण हेतु* *समुद्र के तट पर पहुँचे...* *समुद्र के तट पर* *उन्होने एक पुरुष को देखा जो एक स्त्री की गोद में सर रख कर सोया हुआ था.* *पास में शराब की खाली बोतल पड़ी हुई थी.* *सन्त बहुत दु:खी हुए.* *उन्होने विचार किया कि ये मनुष्य कितना तामसिक और विलासी है, जो प्रात:काल शराब सेवन करके स्त्री की गोद में सर रख कर प्रेमालाप कर रहा है.* *थोड़ी देर बाद समुद्र से बचाओ, बचाओ की आवाज आई,* *सन्त ने देखा एक मनुष्य समुद्र में डूब रहा है,* *मगर स्वयं तैरना नहीं आने के कारण सन्त देखते रहने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे.* *स्त्री की गोद में सिर रख कर सोया हुआ व्यक्ति उठा और डूबने वाले को बचाने हेतु पानी में कूद गया.* *थोड़ी देर में उसने डूबने वाले को बचा लिया और किनारे ले आया.* *सन्त विचार में पड़ गए की इस व्यक्ति को बुरा कहें या भला.* *वो उसके पास गए और बोले भाई तुम कौन हो, और यहाँ क्या कर रहे हो...?* *उस व्यक्ति ने उत्तर दिया : —* *मैं एक मछुआरा हूँ* *मछली मारने का काम करता हूँ.आज कई दिनों बाद समुद्र से मछली पकड़ कर प्रात: जल्दी...

Histry of holi

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*होलिका दहन मुहूर्त* १२ मार्च, रविवार, २०१७. १८:२१:५४ से २०:२५:३० तक अवधि :  २ घंटे ३ मिनट *भद्रा पुँछा* : ०४:२१:३९ से ०५:३३:४७ तक *भद्रा मुखा* : ०५:३३:४७ से ०७:३४:०० तक *पूर्णिमा तिथि आरंभ*- २०:२३  , ११ मार्च *पूर्णिमा तिथि समाप्त*- २०:२३ ,१२ मार्च            होलिका दहन, होली त्यौहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि आदि नामों से भी जाना जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है।         *होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम:*        फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है। इसके लिए मुख्यतः दो नियम ध्यान में रखने चाहिए..... १.   पहला, उस दिन “भद्रा” न हो। भद्रा का ही एक दूसरा नाम विष्टि करण भी है, जो कि 11 करणों में से एक है। एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता है। २. ...

Holika dahan (होलिका दहन) 2017

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होलिका दहन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा (12 मार्च, रविवार) को किए गए उपाय बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करते हैं। आज हम आपको होली पर किए जाने वाले कुछ साधारण उपाय बता रहे हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं- धन लाभ का उपाय होलिका दहन से पहले जब गड्ढा खोदें, तो सबसे पहले उसमें थोड़ी चांदी, पीतल व लोहा दबा दें। यह तीनों धातु सिर्फ इतनी मात्रा में होनी चाहिए, जिससे आपकी मध्यमा उंगली के नाप का छल्ला बन सके। इसके बाद विधि-विधान से दाण्डा रोपे। जब आप होलिका पूजन को जाएं, तो पान के एक पत्ते पर कपूर, थोड़ी-सी हवन सामग्री, शुद्ध घी में डुबोया लौंग का जोड़ा तथा बताशे रखें। दूसरे पान के पत्ते से उस पत्ते को ढक दें और 7 बार होलिका की परिक्रमा करते हुए ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। परिक्रमा समाप्त होने पर सारी सामग्री होलिका में अर्पित कर दें तथा पूजन के बाद प्रणाम करके घर वापस आ जाएं। अगले दिन पान के पत्ते वाली सारी नई सामग्री ले जाकर पुन: यही क्रिया करें। जो धातुएं आपने दबाई हैं, उनको निकाल लाएं। फिर किसी सुनार से तीनों धातुओं को मिलाकर अपनी मध्यमा उंगली के माप क...

Holashtak (होलाष्टक)

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                                         " होलाष्टक " *5 मार्च दिन रविवार से आरंभ* शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन के आठ दिन पूर्व होलाष्टक लग जाता है। होली की सूचना होलाष्टक से प्राप्त होती है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर होलिका दहन तक के समय को धर्मशास्त्रों में होलाष्टक का नाम दिया गया है। इसके अनुसार होलाष्टक लगने से होली तक कोई भी शुभ संस्कार संपन्न नहीं किए जाते। *16 संस्कारों पर रोक* होली के एक सप्ताह पहले शुरू होकर आठ दिन तक माने जाने वाले इस होलाष्टक काल को अशुभ मानने की मान्यता के कारण आठ दिन तक कोई भी शुभ कार्य को करने की मनाही है, इसलिए शास्त्रीय मान्यता के अनुसार 16 संस्कारों में से कोई भी संस्कार नहीं किए जाते है। 16 संस्कार के अलावा अन्य जो भी आवश्यक कार्य होते हैं वे किए जा सकते है। सोना-चांदी खरीदना या इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, कार, बाइक खरीदे जा सकते हैं, ये 16 संस्कारों के अंतर्गत नहीं आते बल्कि घर-परिवार की जरूरी चीजें हैं। *ये हैं 16 संस्कार*...

तिलक लगाने के फायदे

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तिलक लगाने के फायदे किसी के माथे पर तिलक लगा देखकर मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर टीका लगाने से फायदा क्या है? क्या यह महज दूसरों के सामने दिखावे के मकसद से किया जाता है या फिर तिलक धारण का कुछ वैज्ञानिक आधार भी है? दरअसल, टीका लगाने के पीछे आध्यात्म‍िक भावना के साथ-साथ दूसरे तरह के लाभ की कामना भी होती है l आइये जानते हैं तिलक लगाने के क्या फायदे होते हैं l आम तौर पर चंदन, कुमकुम, मिट्टी, हल्दी, भस्म आदि का तिलक लगाने का विधान है. अगर कोई तिलक लगाने का लाभ तो लेना चाहता है, पर दूसरों को यह दिखाना नहीं चाहता, तो शास्त्रों में इसका भी उपाय बताया गया है. कहा गया है कि ऐसी स्थ‍िति में ललाट पर जल से तिलक लगा लेना चाहिए l इससे लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर कुछ लाभ बड़ी आसानी से मिल जाते हैं. आगे तिलक धारण करने के फायदों की चर्चा की गई है l 1. तिलक करने से व्यक्त‍ित्व प्रभावशाली हो जाता है. दरअसल, तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है, क्योंकि इससे व्यक्त‍ि के आत्मविश्वास और आत्मबल में भरपूर इजाफा होता है l 2. ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तक में तरावट आती है. लोग ...

Chronology and its Units

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कालगणना और इसके मात्रक (Chronology and its Units) 6 प्राण (Breath) = 1 पल (विनाडी) = 24 Seconds 60 पल (विनाडी) = 1 नाडी (= घटी = घड़ी) = 24 Minutes 2 घटी = 1 मुहूर्त्त = 1 क्षण = 48 Minutes 60 नाडी (घटी) = 30 मुहुर्त्त = 1 अहोरात्र = 24 Hours 7 अहोरात्र = 1 सप्ताह (Week) 2 सप्ताह = 1 पक्ष (fortnight) 2 पक्ष = 1 मास (Month) 2 मास = 1 ऋतु (Season) 3 ऋतु = 1 अयन 2 अयन = 1 सम्वत् = 1 वर्ष (Year) 360 वर्ष = 1 दिव्य वर्ष 1. सतयुग = 4800 दिव्य-वर्ष = 17,28,000 वर्ष  (Year) 2. त्रेता = 3600 दिव्य-वर्ष = 12,96,000 वर्ष  (Year) 3. द्वापर = 2400 दिव्य-वर्ष = 8,64,000 वर्ष (Year) 4. कलियुग = 1200 दिव्य-वर्ष = 4,32,000 वर्ष (Year) चतुर्युग = महायुग = दिव्ययुग = देवयुग = (सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग) 1 चतुर्युग = 43,20,000 वर्ष (Year) 71 चतुर्युग = 1 मन्वन्तर = 30,67,20,000 वर्ष (Year) 1 सन्धिकाल = 3 चतुर्युग = 1,29,60,000 वर्ष 14 मन्वन्तर + 2 सन्धिकाल = 1000 चतुर्युग 1000 चतुर्युग = 1 सृष्टि = 1 कल्प = 1 ब्राह्म-दिन = 4 अरब 32 करोड़ वर्ष 1000 चतु...

I'm proud to be a HINDU

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ऋग्वेद के अनुसार जो अनाज खेतों मे पैदा होता है, उसका बंटवारा तो देखिए... 1- जमीन से चार अंगुल भूमि का, 2- गेहूं के बाली के नीचे का पशुओं का, 3- पहली फसल की पहली बाली अग्नि की, 4- बाली से गेहूं अलग करने पर मूठ्ठी भर दाना पंछियो का, 5- गेहूं का आटा बनाने पर मुट्ठी भर आटा चीटियों का, 6- चुटकी भर गुथा आटा मछलियों का, 7- फिर उस आटे की पहली रोटी गौमाता की, 8- पहली थाली घर के बुज़ुर्ग़ो की 9- फिर हमारी थाली, 10- आखिरी रोटी कुत्ते की, ये हमें सिखाती है, हमारी सनातन संस्कृति और... मुझे गर्व है कि मैं इस महान् संस्कृति का हिस्सा हूँ । और मुझे गर्व है कि मै हिंदु हूँ

Rasakhan

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रसखान राधे राधे श्रीकृष्ण भक्त कवियों में रसखान का महत्वपूर्ण स्थान है. इनका जन्म सोलहवीं शताब्दी में दिल्ली के एक समृद्ध पठान परिवार में हुआ था. इनका बचपन का नाम सैय्यद इब्राहीम था. इनका लालन पालन बड़े लाड़- प्यार से हुआ. इनको अच्छी और उच्च कोटि की शिक्षा दी गयी. रसखान को फारसी, हिंदी एवं संस्कृत का अच्छा ज्ञान था। इन्होंने "श्रीमद्भागवत" का फ़ारसी में अनुवाद किया था. कहा जाता है कि एक बार वे "श्रीमद्भागवत"-कथा समारोह में पहुंचे. भगवान श्रीकृष्ण की बाल- लीलाओं का सरस वर्णन सुनते-सुनते वे भाव विभोर हो गए. इसके बाद श्रीकृष्ण की प्रेम-लीला ने उन पर ऐसा प्रभाव डाला कि वे श्रीकृष्ण के प्रेमी 'रसखान' बनकर रह गए. रसखान दिल्ली से श्रीकृष्ण की लीलाभूमि वृन्दावन गए. वहां गोस्वामी विट्ठलनाथ जी के सत्संग ने उन्हें परमप्रेमी भक्त बना दिया. उनका शिष्यत्व स्वीकार कर उन्होंने अपना जीवन श्रीकृष्ण भक्ति तथा काव्य रचना के लिए समर्पित कर दिया. प्रसंग - एक बार रसखान गोवर्धन पर श्रीनाथ जी के दर्शन के लिए मंदिर में जाने लगे. ये पठान थे इसलिए अपने साथ...

Aaj ka Ramras

⚪आज का राम रस⚪ पाप कहाँ-कहाँ तक जाता है.? एक बार एक ऋषि ने सोचा कि लोग गंगाजी में पाप धोने जाते हैं तो इसका मतलब हुआ कि सारे पाप गंगाजी में समा गए और गंगाजी भी पापी हो गईं ! अब यह जानने के लिए उन्होंने तपस्या की, कि पाप कहाँ जाता है ? तपस्या करने के फलस्वरूप देवता प्रकट हुए। ऋषि ने पूछा - भगवन, जो पाप गंगाजी में धोया जाता है वह पाप कहाँ जाता है ? भगवन ने कहा - चलो, गंगाजी से ही पूछते हैं। दोनों लोग गंगाजी के पास गए और उनसे कहा - हे गंगे! जो लोग तुम्हारे यहाँ पाप धोते है तो इसका मतलब आप भी पापी हुईं ! गंगाजी ने कहा - मैं क्यों पापी हुई ? मैं तो सारे पापों को ले जाकर समुद्र को अर्पित कर देती हूँ। अब वे लोग समुद्र के पास गए और उनसे बोले - हे सागर ! गंगाजी जो पाप आपको अर्पित कर देती हैं तो इसका मतलब आप भी पापी हुए! समुद्र ने कहा - मैं क्यों पापी हुआ ? मैं तो सारे पापों को लेकर भाप बनाकर बादल बना देता हूँ। अब वे लोग बादल के पास गए, और उनसे बोले - हे बादलों ! समुद्र जो पापों को भाप बनाकर बादल बना देते हैं तो इसका मतलब आप पापी हुए ! बादलों ने कहा - हम क्यों पापी हुए ? हम तो सारे पा...