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Showing posts from February, 2018

निशुल्क मिर्गी की दवाई

निशुल्क मिर्गी की दवाई ग्राम ""रिस्दा"" (जो कि मस्तुरी थाना,जिला-बिलासपुर,छ.ग.,नेशनल हाइवे 49मे पड़ता है,) मे कई वर्षो से मिर्गी की दवाई श्री ""अजय सिंह चँदेल"" जी के द्वारा निस्वार्थ सेवा भाव से दिया जा रहा है, पीड़ित व्यक्ति इसका लाभ ले रहे है, और स्वस्थ हो रहे है, यदि आपके आसपास कोई मिर्गी का मरीज हो तो उस तक ये बात अवश्य पहुचाये,इसके लिये मरीज को केवल एक नारियल,अगरबत्ती व थोडा़ सा गुड़ लेकर आना होता है,जिससे नारियल व गुड़ मे मिलाकर दवाई दी जा सके,यह दवाई पूरी तरह निशुल्क दिया जाता है, 👉दवाई केवल होली के दिन ही दिया जाता है,इस वर्ष दिनांक-02-03-18,दिन शुक्रवार को सुबह 05 बजे से दोपहर 01 बजे तक ही दवाई दिया जाएगा, इसलिये समय पर पहुचकर सहयोग करे,, ""रिस्दा"" का पता:- ग्राम+पोस्ट-""रिस्दा"" थाना+तहसील-मस्तुरी जिला-बिलासपुर(छत्तीसगढ़) पिन कोड495551 ग्राम रिस्दा, नेशनल हाईवे क्रमांक49 मे स्थित है!यह बिलासपुर से 23 किलोमीटर की दूरी पर बिलासपुर-शिवरीनारायण मुख्यमार्ग पर स्थित है,आप गूगल मेप मे रिस...

भक्त माता कर्मा की अमरगाथा

मां कर्मा देवी ( Maa Karma Goddess )   || साहू समाज की अमर ज्योति भक्त शिरोमणि माँ कर्मा देवी की अमर गाथा || उत्तर प्रदेश मे झाँसी एक दर्शनीय एतिहासिक नगर है | यहाँ के प्राचीन भव्य किले, अधगिरी इमारतें और दूर - दूर तक फैले खंडहर आज भी एतिहासिक भूमि की गौरवपूर्ण गाथा को अपनी मूक भाषा में कह रहे है | इसी एतिहासिक नगर में लगभग एक हज़ार वर्ष पूर्व राम साह एक सम्मानित व्यक्ति थे! दीन दुखियों के प्रति दया-भावना, दानशीलता, सरल स्वभाव,धर्म-परायणता आदि उनके विशेष गुण थे, और इसी कारण उनका यश दूर-दूर तक फैला हुआ था | इन्हीं के घर हिन्दुकुल और समस्त साहू समाज को गौरव प्रदान करने वाली भक्त शिरोमणि कर्मा माता का जन्म चैत्र कृष्ण पक्ष ११ संवत १०७३ को हुआ था | माँ कर्मा वाघरी वंशीय समुदाय के वैश्य समुदाय से है | अपने माता पिता की एकमात्र संतान होने के कारण कर्मा बाई का पालन पोषण बड़े ही लाड प्यार से किया गया | वह बाल्यकाल से ही बड़ी होनहार थी | उसे भक्तिपूर्ण कहानियाँ सुनने तथा सुनाने का बड़ा चाव था | नियमित रूप से वह अपने पिता के साथ श्री कृष्ण की मूर्ति के सम्मुख भजन गाती थी | उसके मनोहर ग...
|| ॐ नमो भगवते वासुदेवाय || जिनके हृदय में एकमात्र श्रीहरि की भक्ति निवास करती है; वे त्रिलोकी में अत्यन्त निर्धन होने पर भी परम धन्य हैं; क्योंकि इस भक्ति की डोरी से बँधकर तो साक्षात् भगवान्‌ भी अपना परमधाम छोडक़र उनके हृदयमें आकर बस जाते हैं ॥ “सकलभुवनमध्ये निर्धनास्तेऽपि धन्या      निवसति हृदि येषां श्रीहरेर्भक्तिरेका । हरिरपि निजलोकं सर्वथातो विहाय      प्रविशति हृदि तेषां भक्तिसूत्रोपनद्धः ॥“