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Showing posts from April, 2017

शाकाहारी बनों

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*कंद-मूल खाने वालों से* मांसाहारी डरते थे।। *पोरस जैसे शूर-वीर को* नमन 'सिकंदर' करते थे॥ *चौदह वर्षों तक खूंखारी* वन में जिसका धाम था।। *मन-मन्दिर में बसने वाला* शाकाहारी *राम* था।। *चाहते तो खा सकते थे वो* मांस पशु के ढेरो में।। लेकिन उनको प्यार मिला ' *शबरी' के जूठे बेरो में*॥ *चक्र सुदर्शन धारी थे* *गोवर्धन पर भारी थे*॥ *मुरली से वश करने वाले* *गिरधर' शाकाहारी थे*॥ *पर-सेवा, पर-प्रेम का परचम* चोटी पर फहराया था।। *निर्धन की कुटिया में जाकर* जिसने मान बढाया था॥ *सपने जिसने देखे थे* मानवता के विस्तार के।। *नानक जैसे महा-संत थे* वाचक शाकाहार के॥ *उठो जरा तुम पढ़ कर देखो* गौरवमय इतिहास को।। *आदम से आदी तक फैले* इस नीले आकाश को॥ *दया की आँखे खोल देख लो* पशु के करुण क्रंदन को।। *इंसानों का जिस्म बना है* शाकाहारी भोजन को॥ *अंग लाश के खा जाए* क्या फ़िर भी वो इंसान है? *पेट तुम्हारा मुर्दाघर है* या कोई कब्रिस्तान है? *आँखे कितना रोती हैं जब* उंगली अपनी जलती है *सोचो उस तड़पन की हद*               ...

Today's voice

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आज का संदेश-  ************** आज का भारतीय समाज एवं प्रचीन भारतीय समाज की तुलना करो तो मन में एक कसक सी उठती है | आज एक बच्चे से लेकर 80 वर्ष का बुज़ुर्ग आधुनिकता की अंधी दौध में लगा हुआ है आज हम पश्चिमी हवाओं के झंझावत में फंसे हुए है | पश्चिमी देशो ने हमे बरगलाया है और हम इतने मुर्ख की उससे प्रभावित होकर इस दिशा की और भागे जा रहे है जिसका कोई अंत नही है | वास्तव में देखा जाए तो हमारा स्वयं का कोई विवेक नही है हम जैसा देख लेते है वैसा ही बनने का प्रयत्न करने लगते है निश्चित रूप से यह हमारी संस्कृति के ह्रास का समय है जिस तेज गति से पाश्चात्य संस्कृति का चलन बढ़ रहा है, उससे लगता है कि वह समय दूर नहीं, जब हम पाश्चात्य संस्‍कृति के गुलाम बन जायेंगे और अपनी पवित्र पावन भारतीय संस्कृति, भारतीय परम्परा सम्पूर्ण रूप से विलुप्त हो जायेगी, गुमनामी के  अंधेरों में खो जायेगी। आज मनोरंजन के नाम पर बुद्धू बॉक्स से केवल अश्लीलता और फूहड़पंन का ही प्रसारण हो रहा है हमें मनोरंजन के नाम पर क्या दिया जा रहा है मारधाड़, खुन खराबा, पर फिल्माए गए दृश्य मनोरंजन के नाम पर मानवीय ग...

चाणक्य के अमर वाक्य

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चाणक्य के 15 अमर वाक्य 1)दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है। 2)हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है, यह कड़वा सच है। 3)अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो। छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो। सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो। आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है।" 4)दूसरों की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी। 5)किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं। 6)अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे दंश भले ही न हो पर दंश दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए। 7)कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो... मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा? 8)भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो। 9)काम का निष्पादन करो, परिणाम से मत डरो। 10)सुगंध का प्रसार हवा के रुख का म...